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शहर की जनता मनपा की असफलताओं का खामियाजा भुगतने के लिए मजबूर The people of the city are forced to bear the brunt of the failures of the Municipal Corporation

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* वसूली के बहाने शहर के ४ हजार नल धारकों के कनेक्शन काट दिए गए

जालना: भीषण गर्मी में, जहां महानगरपालिका  का दायित्व जनता को सुविधाएं प्रदान करना है, वहीं अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए महानगरपालिका ने कर संग्रहण में कमी का मुद्दा उठाते हुए लोगों को टैक्स भरने के लिए मजबूर करने हेतु उनके नल कनेक्शन काटना शुरू कर दिया है. शहर के चार हजार से अधिक पानी के कनेक्शनों को कट करने की मुहिम शुरु की गई है. अंबड पर बकाया करोड़ों रुपए वसूलने के बजाय, जालना की जनता को प्यासा रखने से जनता में आक्रोश है.

जालना – जायकवाडी जलापूर्ति योजना मनपा के लिए एक बोझ साबित हो रही है. घानेवाडी के सूखने पर मनपा के मानों होश उड़ गए हैं. जायकवाडी योजना पर हर महीने पचास लाख रुपए का खर्च आता है. हाल ही में, योजना के बिजली बिल का सवा करोड़ रुपए बकाया होने के कारण बिजली काट दी गई थी. इसके अलावा, पिछले महीने योजना की पाइप लाइन तीन बार फटने के कारण जलापूर्ति बाधित हुई थी.

इस स्थिति में, जलापूर्ति की सही योजना बनाने के बजाय, मनपा ने जलापूर्ति के २२ करोड़ रुपए शहर की जनता पर बकाया होने और योजना के खर्चे अधिक होने का हवाला देते हुए लोगों के नल कनेक्शन काटना शुरू कर दिया है.

* रोजाना पानी मिलने पर टैक्स भरेंगे!

जालना शहर में प्रतिदिन पानी की आपूर्ति पिछले चार दशकों से एक सपना बनी हुई है. फिर भी, महानगरपालिका जलापूर्ति के नाम पर नल धारकों से लगभग 2800 रुपए का टैक्स वसूलना चाहती है. जनता का यह कहना है कि उन्हें 15 से 20 दिनों में एक बार पानी मिलता है, वह भी बहुत कम मात्रा में, यानी साल भर में अधिकतम 25 बार जलापूर्ति होती है. इस स्थिति में नल पट्टी का क्या औचित्य है? यदि नियमित जलापूर्ति हो और प्रतिदिन लोगों के घरों तक पानी पहुंचे, तो लोग खुशी से टैक्स भर देंगे. वर्तमान में, लोगों को पानी के लिए टैंकर खरीदना पड़ रहा है, जिससे उनका खर्च बढ़ रहा है.

* इंदेवाडी के निवासियों ने 2013 से टैक्स नहीं भरा है

इंदेवाडी एक ग्राम पंचायत है और नगरपालिका यहां के लोगों को पानी प्रदान करती है। लेकिन यहां के लोगों ने 2013 से अब तक पानी का बिल नहीं भरा है. जो लोग दशकों से मुफ्त में पानी प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें परेशान करने के बजाय, महानगरपालिका शहर की जनता को गर्मियों में और अधिक परेशान कर रही है. जानकारों का कहना है कि यह सिर्फ जून महीने में बारिश होने तक जनता को विभिन्न मुद्दों में उलझाए रखने का एक तरीका है ताकि महानगरपालिका अपनी जिम्मेदारियों से बच सके.

*इस बीच, महानगरपालिका ने जो नल कनेक्शन काटने की मुहिम शुरू की है, वह उन इलाकों में है जहां बड़ी संख्या में लोगों पर कर बकाया है. जलापूर्ति अभियंता राजेश बगले के अनुसार, वरिष्ठों के मार्गदर्शन में शहर के उन इलाकों में विशेषकर नए बसे मोहल्ले के कनेक्शन काटे जा रहे हैं जहां वर्षों से पानी पट्टी भरी नही गई है. उन्होंने बताया कि जायकवाडी योजना का खर्च बहुत है, बिजली बिल बकाया है, और महीने का खर्च 50 लाख रुपए है। यदि बिल अदा नहीं किए जाएंगे, तो योजना की बिजली आपूर्ति कट जाएगी, जिससे लोगों को परेशानी होगी. जनता को परेशानी से बचाने और योजना का खर्च उठाने के लिए नल पट्टी वसूली पर जोर दिया जा रहा है.

* अंबड नगर पालिका पर करोड़ों रुपए बकाया हैं. 

अंबड नगर पालिका भी जालना-जायकवाडी योजना से प्रतिदिन 6 से 7 एमएलडी पानी लेती है, लेकिन कई वर्षों से अंबड नप ने अपने हिस्से के पैसे नहीं भरे हैं. इसकी वसूली पर भी महानगरपालिका को प्रयास करने की आवश्यकता है. जालना की जनता से टैक्स वसूल कर अंबड के साथ ही कई ग्राम पंचायतें भी मुफ्त में पानी प्राप्त कर रही हैं.